गरजे बदरा
बरसा पानी
महकी मिट्टी
चहकी चिड़िया
भीगे पत्ते
भीगा आँगन
नाचा मोर
खिला वसंत ............
गरजे बदरा
सहमी मुनिया
टपका पानी
भीगा बिस्तर
भीगी गुड़िया
बोली मुनिया
अब न आना
प्यारे बदरा
डर लगता है ............
बरसा पानी
महकी मिट्टी
चहकी चिड़िया
भीगे पत्ते
भीगा आँगन
नाचा मोर
खिला वसंत ............
गरजे बदरा
सहमी मुनिया
टपका पानी
भीगा बिस्तर
भीगी गुड़िया
बोली मुनिया
अब न आना
प्यारे बदरा
डर लगता है ............
10 टिप्पणियां:
सुन्दर कबिता। बधाई .
Oh..... Marmik..
सुन्दर रचना..
बदरा के दो अलग अलग रूप दिखाती रचना ...
waaaaaah!!!!!!!!!!!
waaaaah!!!!!!!
एक ही तस्वीर के दो पहलू......अद्भुत !!!!
एक ही तस्वीर के दो पहलू......अद्भुत !!!!
waah bhi aah bhi ...
मेरी नयी रचना Os ki boond: लव लैटर ...
Ati sunder
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