माँ मुझे ढूंढ़ रही है पागलों की तरह
वो नहीं जानती पिछली रात
मै गहरी नींद में थी जब
मुझे सहलाते हुए उसे नींद ने कब जकड़ा
वो भी न जान सकी
मुझे माँ से छुड़ाकर
उठा ले गया था वही
जो मुझे ढूंढने वालों की जमात में
सबसे आगे है
एक अनजान अँधेरे कमरे के कोने में उसने मुझे पटका
मेरी आँख खुली
मै काँप रही थी-चिल्ला रही थी
उसके दांत मेरी रूह को चबा रहे थे
मेरी तकलीफ से वो आह्लादित हो उठा था
फिर खुद को तृप्त कर
मुझे ख़त्म कर दिया उसने
कि कहीं मै उसके गुनाह का पर्दाफाश न कर दूँ
और इस तरह
डेढ़ बरस का 'स्त्रीत्व'
मिट्टी की तहों में
जज़्ब हो गया फिर से ………!
वो नहीं जानती पिछली रात
मै गहरी नींद में थी जब
मुझे सहलाते हुए उसे नींद ने कब जकड़ा
वो भी न जान सकी
मुझे माँ से छुड़ाकर
उठा ले गया था वही
जो मुझे ढूंढने वालों की जमात में
सबसे आगे है
एक अनजान अँधेरे कमरे के कोने में उसने मुझे पटका
मेरी आँख खुली
मै काँप रही थी-चिल्ला रही थी
उसके दांत मेरी रूह को चबा रहे थे
मेरी तकलीफ से वो आह्लादित हो उठा था
फिर खुद को तृप्त कर
मुझे ख़त्म कर दिया उसने
कि कहीं मै उसके गुनाह का पर्दाफाश न कर दूँ
और इस तरह
डेढ़ बरस का 'स्त्रीत्व'
मिट्टी की तहों में
जज़्ब हो गया फिर से ………!
13 टिप्पणियां:
मार्मिक ...
आक्रोश उठता है मन में ऐसे दरिंदों के लिए ...
भावपूर्ण रचना
दुखद.... गहरे भाव
marmik rachna ..gehri abhivyakti..sundar lekhan ..
bahut sunder. apko holi ki subhkamnayen! kripya mere blog par bhi ayen , apka swagat hai.
क्यों होता है ऐसा .....ईश्वर...क्या अभी तक तीसरा नेत्र खोने का समय नहीं आया ....!!!
Sunita ji bahut hi achchhi rachana parosi hai apne eske liye koti koti aabhar ......aakarshan manushy ki sahaj vritti hai paranti jab ye akarshan sabhyta ke dahleej ko par katati hai to apradh hota hai ....jeevan kashto se bhara hai yahi katu satty hai.Shayad prkriti bhi hamare sath nahi hona chahati .
marmik rachana ke liye ak bar punh aabhar .
जीवन मैं आक्रोश होना जरुरी है
गहन अर्थों से भरी रचना
aagrah hai mere blog main bhi sammlt hon
jyoti-khare.blogspot.in
आह!..
उम्दा भाव पूर्ण रचना,बधाई सुनीता जी,,,,
बाल यौन अपराध और बर्बर शोषण का मार्मिक चित्र रूपकात्मक तत्व लिए .
बहुत सुन्दर प्रस्तुति | आभार |
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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मार्मिक
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