ऐ मेरे मन
तुम्हे ऐतराज तो होगा
जो मैं कहूँ कि
तुम मेरे लायक नहीं या मैं तुम्हारे
कि तुम मैले, कलुषित और भौंडे हो चले हो
तुम रचते हो साजिश मेरे प्रेम के ख़िलाफ़
जब टूटते हैं मिथक
तो मनाने लगते हो मुझे
और मान ही जाती हूँ मैं
कि मन आखिर मेरा ही तो है
मगर तुम मेरे कहाँ हो, मन ?
होते तो, मुझे अन्तर्द्वन्द की भेंट न चढाते
मैं तुम्हारे अधीन जब-तब हो जाती हूँ
तुम हो कि मेरे वश में कभी नहीं आते
तुम मेरे भीतर कहीं हो, जो बरगलाते हो मुझे
मगर तुम्हारे भीतर कौन है
जो बोता है तुममे अविश्वास , धोखे और घृणा के बीज
आज साफ़ करो सारी बातें
या छोड़ दो मेरा पीछा और करने दो मुझे
दो बातें अपने प्रियतम से!
17 टिप्पणियां:
वो कहते हैं न मन के हारे हार है मन के जीते जीत ..... बस मन बस में रहे तो फिर कोई द्वंध नहीं ..
बहुत बढ़िया प्रस्तुति
मन की मनमानी आखिर कब तक.....???
सुन्दर भाव..
अनु
pls remove word verification.
हूँ...मन को भी कभी खरी खरी कही जाये :)
यह द्वन्द चलता रहेगा ...
मन ही तो है :))
सच कहा है ... ये मन का द्वंद ही है ... जो डराता है ... ऐसा होगा तो ये न हो जाए ... ये होगा तो ऐसा न हो जाए ...
मन से परे ... मन की बात कहती सुन्दर रचना ...
मन को अ -मन कर दो अमनीकरण कर दो मन का .शून्य में लगा दो .जैसे नमक पानी में विलीन होकर नमकीन हो जाता है नमक के गुण ले लेता है .वैसे ही मन को शून्य में विलीन कर दो .
मन तो ऐसा ही है.. मनभावन अभिव्यक्ति..
बहुत उम्दा .अर्थपूर्ण,सुन्दर सार्थक अभिव्यक्ति.
सुनिताजी कितना सुन्दर लिखा है आपने ....वाकई यह मन अपना होकर भी अपना नहीं .....क्योंकि यह दिलसे कोसों दूर है .....हर कोमल अहसास में एक पैबंद लगा देता है ..और कलुषित कर देता है उसे...
Very nice.congrats
बहुत अच्छे | बधाई
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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जो जो मेरा मन कहे (मन मत )पे चलना और श्री मत पे चलना भिन्न है .श्री मत परमात्मा का डायरकशन निर्देशन हैं .उसपे चलने में फायदा है .ॐ शान्ति .
मन का प्रेम--- प्रेम में मन
प्रेम का मन से किया किया गया महीन अहसास
सहज पर गहन अनुभूति
सुंदर रचना
बधाई
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
बहुत खूब .शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .मन की परतें ही कुछ उलझी सी हैं .
मन के द्वन्द को चित्रित करते-करते समापन "लाजवाब" लगा - बहुत खूब
मन की थाह पा पाना बहुत मुश्किल है सुनिताजी...बहोत शातिर होता है ...साफ़ निकल जाता है ...
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